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Sri suktam PDF lyrics in Hindi
हरि ओम हिरण्य-वर्णनाम हरिन्निम सुवर्ण-रजता-सराजम |
चंद्रम् हिरणन्मयीं लक्ष्मीम् जातवेदो मा आवहा ||१||
तम मा आवहा जातवेदो लक्ष्मिम्-अनापगामिनीम् |
यस्यम् हिरण्यम् विंदयम् गम-अश्वम् पुरुषसं-अहम ||२||
अश्व-पूर्वम् रथ-मध्यं हस्तिनादा-प्रबोधिनीम् |
श्रीयम देवीम-उपह्वये श्रीइर्मा देवी जुसताम् ||३||
काम सो-स्मिताम् हिरण्य-प्राकारम्-आर्दराम ज्वलंतिम तृप्तम तर्पयंतीम |
पद्मे स्थितम् पद्म-वर्णनाम तम-इहो[अ-उ]पह्वये श्रियम ||४||
चंद्रम प्रभासाम् यशसा ज्वलंतिम श्रियम लोके देवा-जुस्स्तम-उदारम् |
तम पद्मिनीम-इम शरणम्-अहम प्रपद्ये-[अ]लक्ष्मीर-मे नाश्यताम् त्वम् वृणे ||५||
आदित्य-वर्णने तपसो[अ-अ]धी-जातो वनस्पति-तव वृक्षसो[अह-अ]था बिल्वः |
तस्य फलानी तपसा-नुदंतु माया-अंतरायाश्चा बह्या अलक्ष्मिह ||६||
उपैतु माम देवा-सखाह किर्तिश-चा मानिना साहा |
प्रादुर्भूतो[अह-अ]स्मि रास्तत्रे-[अ]स्मिन् किर्तिम-रद्धिम ददातु मी ||७||
क्षुत्-पिपासा-मलम् ज्येष्ट्थाम्-अलक्ष्मिम् नाशयामि-अहम |
अभूतिम-असम्रद्धिम् च सर्वं निरनुदा मे गृहत ||८||
गंधद्वरम् दुर्धरशम् नित्यपुष्टम करिशिणीम् |
ईश्वरीम् सर्वभूतां तमिहोफव्ये श्रियम ||९||
मानस: काममाकुटिम वाच: सत्यमशिमही |
पशुनाम रूपमनस्य माये श्री: श्र्यतम यश: ||१०||
कर्दमें प्रजाभूता माये सम्भव कर्दम |
श्रेयम वसय मी कुले मातरम् पद्मलिनीम् ||११||
आप: सराजंतु स्निग्धनी चिकिलात वास मी गृहे |
नि च देवीं मातरम् श्रीं वसय मे कुले ||१२||
आद्रम पुष्किरणिम पुष्टिम पिंगलम पद्मलिनीम |
चंद्रम हिरण्यमयी लक्ष्मिम जातवेदो मा आव ||१३||
अद्रम् य: करिणीम् यष्टिम सुवर्णम हेमामालिनिम |
सूर्यं हिरण्यमयी लक्ष्मी जातवेदो मा आव्हा ||१४||
तम मा आवहा जातवेदो लक्षमीमानपगामिनीम् |
यसं हिरण्यं प्रभुतं गावो
दास्योश्वं विन्देयम पुरुषंहम् ||१५||
य: शुचि: प्रयातो भूत्वा जुहुयादज्यमानवहम् |
सुक्तं पंचदर्शश्च च श्रीकाम: सततम जपेत् ||१६||
पद्मनाने पद्म उरु पद्माक्षी पद्मसंभावे |
तन्मे भजसि पद्माक्षी येन सौख्यं लभम्यहम् ||१७||
अश्वदयाय गोदयाय धनदयाय महाधने |
धनं मे लभतम देवी सर्वकामंश्च देही मी ||१८||
पद्ममने पद्मविपधमपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलयताक्षी |
विश्वप्रिये विष्णुमनोनुकुले
त्वत्पादपदमं माये संनिधत्व ||१९||
पुत्रपौत्रम् धनमधान्यं हस्त्यश्वदिग्वर्थम् |
प्रजनम् भवसि माता आयुष्मानतम करोतु मी ||२०||
धनमग्निर्धनम् वायुर्धनम् सूर्यो धनम् वसु:|
धनमिंद्रो ब्रहस्पतीर्वरुणां धनमस्तु मी ||२१||
वैंतेय सोमं पिब सोमं पिबतु व्रुत्रहा|
सोमम् धनस्य सोमिनो मह्यम् ददातु सोमिनः ||२२||
न क्रोधो न च मत्सर्यं न लोभो न शुभमति:|
भवन्ति कृतपुण्यनं भक्तानां श्रीसूक्तं जपेत ||२३||
सरसिजनिलये सरोज त्वरे धवलतरंशुकगंधमाल्यशोभे |
भगवती हरिवल्लभे मनोज्ञे
त्रिभुवनभूतिकरी स्तुति मह्यम् ||२४||
विष्णुपत्नीं क्षमं देवीम माधवीम् माधवप्रियम् |
लक्ष्मी प्रियसखीं देवीम नामयाच्युतवल्लभम् ||२५||
महालक्ष्मी च विदमहे विष्णुपत्नी च धीमही |
तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात ||२६||
श्रीर्वार्चास्वमायुषी मारोग्य मविधाचोभमानं मह्यते |
धन्यम् धनम् पशुम् बहुपुत्रलाभम् शतसंवत्सरं वीरधमायु: ||२७||
|| इति श्री सुक्तम् समप्तम ||
Sri Suktam PDF in Hindi | श्री सूक्त pdf download
Name : | Sri suktam |
Pages : | 8 |
PDF Size : | 207 kb |
Language : | Hindi |
Shree Suktam Stotra Path
श्री सूक्तम देवी लक्ष्मी को समर्पित एक पवित्र भजन है, जो हिंदू धर्म में धन, समृद्धि, सौभाग्य और प्रचुरता की देवी के रूप में पूजनीय हैं। यह वेदों का एक हिस्सा है, विशेष रूप से ऋग्वेद, जो हिंदू धर्म के सबसे पुराने ग्रंथों में से एक है।
इस भजन में देवी लक्ष्मी की स्तुति में 15 छंद या मंत्र शामिल हैं, जो समृद्धि, कल्याण और खुशी के लिए उनके आशीर्वाद का आह्वान करते हैं। “सूक्तम” शब्द का तात्पर्य भजनों या छंदों के संग्रह से है।
श्री सूक्तम का पाठ अक्सर अनुष्ठानों, प्रार्थनाओं और लक्ष्मी को समर्पित समारोहों के दौरान किया जाता है, विशेष रूप से दिवाली जैसे त्योहारों के दौरान, जो अंधेरे पर प्रकाश की विजय और प्रतिकूल परिस्थितियों पर समृद्धि का जश्न मनाता है।
भक्तों का मानना है कि भक्ति और ईमानदारी से श्री सूक्त का पाठ करने से देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है, जिससे उनके जीवन में समृद्धि, सफलता और आध्यात्मिक विकास हो सकता है।
भजन न केवल भौतिक संपदा का जश्न मनाता है, बल्कि आंतरिक समृद्धि, जैसे गुण, ज्ञान और आध्यात्मिक पूर्ति के महत्व पर भी जोर देता है, जो समग्र कल्याण और समृद्धि के लिए आवश्यक हैं।
कुल मिलाकर, श्री सूक्तम हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, जो समृद्धि की पूजा और देवी लक्ष्मी द्वारा अवतरित दिव्य स्त्री ऊर्जा का प्रतीक है।
Sri Suktam Sanskrit pdf
Name : | Sri suktam |
Pages : | 8 |
PDF Size : | 207 kb |
Language : | Sanskrit |
Shree Suktam in Gujarati pdf | શ્રી સૂક્ત ગુજરાતી અનુવાદ
Name : | Sri suktam |
Pages : | 8 |
PDF Size : | 207 kb |
Language : | Gujarati |
What is Sri Suktam?
श्री सूक्तम ऋग्वेद का एक पवित्र भजन है जो देवी लक्ष्मी को समर्पित है, जो समृद्धि और प्रचुरता के आशीर्वाद का आह्वान करता है।
श्री सूक्तम से मुझे कैसे लाभ हो सकता है?
श्री सूक्तम का पाठ आपके जीवन में धन, समृद्धि और आध्यात्मिक पूर्ति को आकर्षित कर सकता है।
क्या श्री सूक्तम दैनिक पाठ के लिए उपयुक्त है?
हां, श्री सूक्तम को अपने दैनिक आध्यात्मिक अभ्यास में शामिल करने से गहरा लाभ मिल सकता है।
क्या गैर-हिन्दू श्री सूक्तम से लाभ उठा सकते हैं?
बिल्कुल, श्री सूक्तम का आशीर्वाद धार्मिक सीमाओं से परे है, जो इसकी दिव्य कृपा चाहने वाले सभी लोगों को समृद्धि और प्रचुरता प्रदान करता है।